हैलो दोस्तों आज हम बात करने वाले हैं ऐसे मंदिर की जो लखीसराय जिले में स्थित है I यह मंदिर इतने मनमोहक प्राकृतिक वातावरण में स्थित है कि वहां पहुंचने से पहले ही आप मत्रमुग्ध हो जायेंगे I
कजरा रेलवे स्टेशन से 3 किलोमीटर दूर कजरा ग्राम में माँ जलप्पा स्थान मंदिर स्थित है इस मंदिर की अधिष्ठातृ देवी माँ जलप्पा हैं I माँ जलप्पा के प्रति यहां के लोगों की अपार श्रद्धा है, यहां सिर्फ लखीसराय ही नहीं बल्कि आस-पास के सभी जिले के लोग माँ जलप्पा के दर्शन करने यहां आते हैं I माता के बारे में मान्यता है कि माता अपने दरबार में आने वाले सभी भक्तों पर कृपा करती हैं, उनकी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं I
मुख्य रूप से लोग संतान प्राप्ति की मनोकामना लेकर यहां आते हैं और मनोकामना पूर्ण होने पर लोग यहां माता को दूध अर्पित करते हैं और पूजा अर्चना करते हैं I जिनके घरों में गाय बछड़े को जन्म देती है उस गाय का पहला दूध माँ को अर्पित करते हैं उसके बाद ही खुद दूध ग्रहण करते हैं I
माँ अग्नि से उत्पन्न हुई हैं इसलिए इनका प्राचीन नाम ज्वलप्पा था, जो कालांतर में जलप्पा हो गया I यहां हज़ारों की संख्या में लोग आते हैं I ऐसे तो यहां रोज भीड़ लगी रहती है, पर मंगलवार को यहां दूर-दूर से लोग आते हैं I यहाँ का दृश्य बहुत ही मनोरम है, छोटी-छोटी पहाड़ियां, समतल मैदान, हरे-भरे खेत, पेड़-पौधे यहां के प्राकृतिक वातावरण को और भी खूबसूरत बनाते हैं I लोग माँ की पूजा-अर्चना करते हैं, सिन्दूर से टिकते हैं I प्रसाद में चूरा रामदाना और रक्षा का धागा चढ़ाया जाता है I लोग प्रदक्षिणा करते हैं, सच्ची श्रद्धा भक्ति और कृपा की याचना करते हैं I
धन्नाराम शुक्ल और विश्वराम शुक्ल नामक दो भाइयों ने माँ भगवती की नियम पूर्वक पूजा अर्चना करते हुए इस मंदिर का प्रतिष्ठापन कराया था I उस समय यहां एक बहुत बड़ा शहर था, जो अंगूर शहर के नाम से विख्यात था I उस समय यहां कोल्खेरा नमक आदिवासी राजा का शासन था I मुगल शासक औरंगजेब के शासन काल में इसे ध्वस्त कर दिया गया था I
अंग्रेजी शासन काल के दौरान यहां के निवासी हंसराज को माँ भगवती ने स्वप्न में दर्शन दिए I अतः उन्होंने उसी जगह पुनः मंदिर का निर्माण कराया I उनके पुत्र श्री मिश्री शुक्ल जो कि नागा थे, मंदिर में पूजा पाठ करने लगे I वर्तमान में गोपाल जी मिश्र मंदिर के प्रबंधक के रूप में मंदिर की व्यवस्था संभाल रहे हैं I