ये है आस्था का शहर जमुई, और यहीं मंदिर है बाबा झुमराज का | बाबा झुमराज का मंदिर बटिया जंगल में पड़ता है I यह मंदिर प्राकृतिक सौंदर्य के बीचो-बीच है I यह मंदिर चारों ओर से पहाड़ और जंगल से घिरा है, यहाँ जाने वाले श्रद्धालु वहां जाकर मंत्रमुग्ध हो जाते हैं I
बाबा झुमराज की कहानी
बाबा झुमराज के बारे में कई कहानियां बताई जाती हैं, उनमें से एक कहानी ज्यादा प्रसिद्ध है I कहा जाता है झुमराज बाबा एक ब्राह्मण थे, जो शिव के सच्चे भक्त थे I एक बार की बात है, जब वो काशी से गंगा जल लेकर भोले बाबा को जल चढ़ाने कांवर लेकर जा रहे थे I काफी अँधेरा हो चुका था और सामने बटिया का विशाल जंगल था तो उन्होंने वहीं बटिया जंगल में रात गुजारने का फैसला किया I वहीं पास में ही जीवन सिंह की कुटिया थी, जहां वे विश्राम करने लगे I
जब वे रात में सोये हुए थे तभी उनपर एक भूखे शेर ने हमला कर दिया I बाबा और शेर के बीच टक्कर की लड़ाई चली, पर अंत में शेर ने बाबा के प्राण ले लिए I सुबह-सुबह जब जीवन बाबा को ढूंढते हुए आया, तो उसने देखा कि बाबा के प्राण जा चुके हैं I वह काफी घबरा गया और पास के अपने खेत में बाबा को दफन कर दिया I
फिर एक अजीब सी घटना घटने लगी I जीवन जब भी उस खेत से फसल काट कर लाता था जिसमे बाबा को दफ़न किया था तो फिर से उस खेत में फसल उग आती I यह देखकर जीवन परेशान हो गया, फिर वह सच्चे मन से बाबा को ध्यान किया और माफ़ी मांगी I
एक रात बाबा ने उसे स्वप्न में दर्शन देकर कहा – जीवन मैं एक ब्राह्मण हूँ और ब्राह्मण का अंतिम संस्कार किया जाता है दफन नहीं I तुम पूरे नियम पूर्वक मेरा अंतिम-संस्कार करो, तुम्हें जीवन में कभी कोई कमी नहीं होगी और जो भी भक्त यहाँ सच्चे मन से मेरे दरबार में आएगा उसकी मनोकामना पूर्ण होगी I जीवन ने ऐसा ही किया I उसने पूरे नियमानुसार बाबा झुमराज का अंतिम संस्कार किया और बाबा की एक पिंडी बनाकर उनकी पूजा करने लगा I
धीरे-धीरे बाबा ने अपनी महिमा दिखानी शुरु कर दी, उनकी चर्चा दूर- दूर तक होने लगी I लोग दूर-दूर से बाबा के दरबार में अपनी फरियाद लेकर पहुंचने लगे I जिनकी भी मनोकामना पूर्ण होने लगी वे बाबा को पाठा चढ़ाने लगे फिर यह प्रथा चालू हो गई I
मंदिर में बलि-प्रथा
बाबा झुमराज के मंदिर में बलि की प्रथा बहुत प्रसिद्ध है I जिन भक्तों की मन्नत बाबा पूरी करते हैं, वे सभी भक्त बाबा को बकरे (पाठा) की बलि बहुत श्रद्धा के साथ देते हैं I यहां सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को बलि दी जाती है, इन तीन दिनों में बाबा को हजारों की संख्या में बलि चढ़ाई जाती है I जो भक्त बाबा को 14 बकरे की बलि देते हैं उसे बड़ी पूजा कहा जाता है I बड़ी पूजा के लिए भक्त को एक दिन पहले ही आकर मंदिर के पुजारी को निमंत्रण देना पड़ता है और एक दिन पूर्व से ही कुछ नियम धर्म का पालन करना पड़ता है I
बाबा के मंदिर में भक्तों का शैलाब
सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को बाबा के दरबार में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ती है I यह भीड़ सिर्फ जमुई ही नहीं, आसपास के सभी जिले, यहां तक कि झारखण्ड राज्य से भी भक्तों का आवागमन लगा रहता है I बाबा की प्रसिद्धि दूर-दूर तक फैली है I जो भी भक्त यहां एक बार आता उसे बार-बार यहां आने का मन करता है I ऐसा माना जाता है कि जो भी भक्त यहां सच्ची श्रद्धा और सच्चे मन से यहां आता है उसकी मनोकामना जरूर पूर्ण होती है तभी तो यहां हर सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को लगभग 15 से 20 हजार लोग दर्शन को आते हैं I
मंदिर के आय का स्रोत
जो भी भक्त यहां दर्शन को आते हैं वो कुछ न कुछ चढ़ावा दान करके जाते हैं और जितनी भी बलि यहां दी जाती है प्रत्येक बलि के लिए 251 रुपये की रसीद कटती है, एवं बलि प्रदान के समय भी 50 रुपया लिया जाता है I अनुमानतः हर सप्ताह मंदिर को 1 से 1.5 लाख रुपये की आय हो जाती है I
सुरक्षा इंतजाम
यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ जमा होती है, फिर भी प्रशासन की ओर से सुरक्षा के नाम पर कोई इंतजाम नहीं है I ट्रैफिक की समस्या भी बनी रहती है I
साफ सफाई का अनुचित प्रबंध
बाबा झुमराज मंदिर परिसर में साफ सफाई पर भी कोई विशेष ध्यान नहीं दिया गया है अगर यहां इतने श्रद्धालु आ रहे हैं मंदिर को पर्याप्त चढ़ावा मिल रहा है तो साफ सफाई का भी ध्यान रखा जाना चाहिए I प्रशासन को भी यहां साफ- सफाई की व्यवस्था करानी चाहिए I साफ पानी के लिए भी कोई विशेष प्रबंध मंदिर या प्रशासन की ओर से नहीं किया गया है I वहीं के कुछ ग्रामीण 20 रुपया प्रति डब्बा पर नदी से पानी लाकर देते हैं, जो पीने योग्य तो नहीं होता पर बर्तन धोने के काम आता है I पीने के लिए डब्बे का पानी खरीदना पड़ता है
निष्कर्ष :
इतनी असुविधाओं के बावजूद भी भक्त गणों की संख्या में कोई कमी नहीं आती है और यह दिनों-दिन बढ़ती ही जा रही है I अगर आप भी बाबा झुमराज के दर्शन को इक्षुक हैं तो यहां एक बार अवश्य पधारें और यहां की प्राकृतिक सुंदरता का भी लाभ उठाएं I